Tax Free State: नमस्कार दोस्तों! क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा राज्य है जहां के निवासी, चाहे वे करोड़पति ही क्यों न हों, एक रुपये का भी इनकम टैक्स नहीं चुकाते? जी हां, हम बात कर रहे हैं सिक्किम की। आइए जानते हैं कि सिक्किम को यह विशेषाधिकार कैसे मिला और इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है।
सिक्किम का विशेष दर्जा
सिक्किम, भारत का एक पूर्वोत्तर राज्य, अपनी खूबसूरत वादियों और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इसके अलावा, सिक्किम की एक और खासियत है जो इसे देश के अन्य राज्यों से अलग बनाती है – यहां के निवासियों को इनकम टैक्स से पूरी तरह छूट प्राप्त है। यह छूट भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371(F) और इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 10(26AAA) के तहत दी गई है।
इतिहास: कैसे मिला टैक्स फ्री का दर्जा?
सिक्किम पहले एक स्वतंत्र राज्य था और 1975 में भारत में विलय हुआ। इस विलय के समय, सिक्किम के निवासियों के आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए। इन्हीं प्रावधानों के तहत, सिक्किम के निवासियों को इनकम टैक्स से छूट दी गई, ताकि उनकी आर्थिक संरचना में कोई बदलाव न आए।
कौन हैं इस छूट के पात्र?
यह छूट सभी सिक्किम निवासियों को नहीं मिलती, बल्कि केवल उन्हीं को दी जाती है जो निम्नलिखित शर्तें पूरी करते हैं:
- सिक्किम सब्जेक्ट्स रजिस्टर में नाम दर्ज हो: जिन व्यक्तियों का नाम 26 अप्रैल 1975 से पहले सिक्किम सब्जेक्ट्स रजिस्टर में दर्ज है, वे इस छूट के पात्र हैं।
- पहचान प्रमाण पत्र (COI) धारक: जिनके पास सिक्किम सरकार द्वारा जारी Certificate of Identification (COI) है, वे भी इस छूट का लाभ उठा सकते हैं।
- वंशज: वे व्यक्ति जो उपरोक्त पात्र व्यक्तियों के वंशज हैं और जिन्होंने अपनी यह स्थिति बनाए रखी है।
क्या बाहरी लोग इस छूट का लाभ ले सकते हैं?
यदि आप सोच रहे हैं कि सिक्किम में बसकर आप भी इस छूट का लाभ उठा सकते हैं, तो यह संभव नहीं है। यह छूट केवल उन्हीं व्यक्तियों के लिए है जो 1975 से पहले से सिक्किम के निवासी हैं या उनके वंशज हैं। बाहरी लोग, जो बाद में सिक्किम में बसे हैं, इस छूट के पात्र नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
2013 में, एसोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने इनकम टैक्स एक्ट की धारा 10(26AAA) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी। उन्होंने तर्क दिया कि यह धारा उन व्यक्तियों को अनुचित रूप से बाहर करती है जो:
- 1975 से पहले सिक्किम में बसे भारतीय नागरिक थे, लेकिन उन्होंने अपनी भारतीय नागरिकता नहीं छोड़ी, इसलिए उनका नाम सिक्किम सब्जेक्ट्स रजिस्टर में नहीं था।
- सिक्किमी महिलाएं जिन्होंने 1 अप्रैल 2008 के बाद गैर-सिक्किमी पुरुषों से विवाह किया।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि सिक्किमी महिलाओं के साथ यह भेदभाव अनुचित है और उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे इनकम टैक्स एक्ट की धारा 10(26AAA) में संशोधन करें ताकि इन व्यक्तियों को भी छूट का लाभ मिल सके।
आर्थिक प्रभाव
इनकम टैक्स से छूट के कारण, सिक्किम के निवासियों के पास अधिक निवेश और बचत के अवसर हैं। इससे राज्य में पर्यटन, कृषि और छोटे व्यवसायों में निवेश बढ़ा है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। इसके अलावा, यह छूट सिक्किम को अन्य राज्यों की तुलना में निवेश के लिए अधिक आकर्षक बनाती है।
Conclusion-Tax Free State
सिक्किम का इनकम टैक्स से मुक्त होना उसके विशेष इतिहास और संवैधानिक प्रावधानों का परिणाम है। यह छूट न केवल वहां के निवासियों के लिए आर्थिक लाभदायक है, बल्कि राज्य की आर्थिक वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, यह छूट सभी के लिए उपलब्ध नहीं है और इसके लिए विशेष शर्तें पूरी करनी होती हैं। यदि आप सिक्किम में बसने का सोच रहे हैं ताकि इस छूट का लाभ उठा सकें, तो यह संभव नहीं है, क्योंकि यह विशेषाधिकार केवल पुराने निवासियों और उनके वंशजों तक सीमित है।
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